पितृ पक्ष २०१९ | Pitru Paksha in Hindi कब और कैसे करें Puja Vidhi
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भारत में हिंदू धर्म में किसी की भी मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यता यह है कि अगर किसी व्यक्ति का विधि के अनुसार श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति कभी नहीं मिलती और वह इसी लोक में भूत प्रेत के कालचक्र में फंस जाता है। आज हम लोग जानेंगे की पितृ पक्ष का क्या महत्व है और इसे संपूर्ण तरीके से कैसे किया जाता है।
Pitra dosh puja at home
पितृपक्ष पूजा या पितृ दोष पूजा आप घर में भी कर सकते हैं। इस पूजा में आपको उचित काल और स्थान पर अपने पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों की मदद से पूजा करनी होती है। यह श्राद्ध पूजा आप घर में भी कर सकते हैं। अपने घर पर ही आप अपने पितरों के नाम पूजा करिए और श्राद्ध के रूप में पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाइए। पिंड रूप में दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है।
आपको अपनी पितृ पक्ष पूजा बहुत ध्यान पूर्वक से करना चाहिए हमेशा एक जानकार ब्राह्मण या पंडित को पूजा के समय अपने पास रखें। मान्यता यह है कि अगर किसी कारण पितृ नाराज हो जाए तो मनुष्य के जीवन में बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो सकती है जो कि बहुत ही बुरी बात हो सकती है। पितृ के नाराज होने से घर में अशांति, धन हानि और संतान पक्ष जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है उनको पितृपक्ष की पूजा अवश्य करना चाहिए अथवा अपने पितरों को श्राद्ध अवश्य देना चाहिए।
How to do pitru paksha puja at home
पितृ पक्ष के श्राद्ध में तिल, चावल, जॉ आदिको बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है, पितृपक्ष का श्राद्ध केवल योग्य ब्राह्मणों के हाथों के द्वारा कराएं और श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्व होता है। हमेशा याद रखें कि पितृ पक्ष पूजा के श्राद्ध में पितरों को अर्पित किया जाने वाला भोज्य पदार्थ हमेशा पिंडी रूप में भेंट किया जाता है। पूजा होते ही मान्यता यह है कि श्राद्ध को ग्रहण करने के लिए पूजा करता के पितृ काव्य के रूप में श्राद्ध को ग्रहण करने के लिए घर आते हैं, इसलिए अगर आप पितृ पूजा घर में कर रहे हैं तो अपने छत पर श्राद्ध अवश्य लगाएं और कौवा के लिए श्राद्ध का प्रथम अंश जरूर रखें।
Pitru paksha puja vidhi at home
अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध घर पर कर रहे हैं तो कोई बात नहीं परंतु अगर आप कहीं बाहर करना चाहते हैं तो गंगा नदी के किनारे सबसे उचित स्थान है। श्राद्ध करता को पितृ पक्ष पूजा के पश्चात व्रत भी रखना चाहिए, पूजा करते वक्त आपको विभिन्न प्रकार की भगवान की आवश्यकता भेंट के रूप में चढ़ाने के लिए आवश्यकता होगी इसलिए आप इस दिन खीर और कुछ अन्य पकवान जरूर बना के रख ले। पितृ पक्ष की पूजा हमेशा दोपहर के समय में शुरू करना उचित होता है, अग्नि कुंड में अग्नि जला कर या उपला जला कर हवन शुरू करें। हवन करने के बाद ब्राह्मण या किसी पंडित की सहायता से मंत्र का उच्चारण करें। पूजा के बाद शुद्ध जल से तर्पण करना चाहिए और सबसे पहले गाय, काले कुत्ते और कौवे के लिए भोजन अलग से निकाल देना चाहिए। इनको भोजन देते समय अपने पितरों का ध्यान अवश्य करें और अपने मन ही मन अपने पितरों को आकर श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए। पशु को भोजन देने के बाद तिल, जॉ, कुशा, तुलसी के पत्ते, मिठाई व अन्य पकवान ब्राह्मण को परोस कर उन्हें भोजन कराना चाहिए। मान्यता है कि जो व्यक्ति नियमपूर्वक श्राद्ध करता है वह पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है। पितृ श्राद्ध, पक्ष के किए गए दान और श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होते हैं और कर्ता को सदैव स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल होने का आशीर्वाद देते हैं।
24 सितम्बर (सोमवार) पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितम्बर (मंगलवार) प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितम्बर (बुधवार) द्वितीया श्राद्ध
27 सितम्बर (बृहस्पतिवार) तृतीया श्राद्ध
28 सितम्बर (शुक्रवार) महा भरणी, चतुर्थी श्राद्ध
29 सितम्बर (शनिवार) पञ्चमी श्राद्ध
30 सितम्बर (रविवार) षष्ठी श्राद्ध
01 अक्टूबर (सोमवार) सप्तमी श्राद्ध
02 अक्टूबर (मंगलवार) अष्टमी श्राद्ध
03 अक्टूबर (बुधवार) नवमी श्राद्ध
04 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) दशमी श्राद्ध
05 अक्टूबर (शुक्रवार) एकादशी श्राद्ध
06 अक्टूबर (शनिवार) मघा श्राद्ध, द्वादशी श्राद्ध
07 अक्टूबर (रविवार) त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
08 अक्टूबर (सोमवार) अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध (सभी के लिए )
उम्मीद है आपको हिंदी में पितृपक्ष पूजा विधि पर आधारित है यह जानकारी अवश्य प्राप्त हुई होगी और आपको यह जानकारी अपने पितरों के श्राद्ध में मदद करेगी। धन्यवाद!
Pitru paksha in hindi
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने के लिए हर इंसान को सबसे पहले अपने पूर्वजों यानी की पितरों का श्राद्ध करना चाहिए ताकि वह खुश हो जाए। हिंदू ज्योतिष के अनुसार भी यह माना जाता है कि पितृ दोष सबसे जटिल है। हर साल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल में पितृपक्ष श्राद्ध दिया जाता है। हिंदू सभ्यता में यह भी माना जाता है कि यह वह दौरान है जब यमराज और भगवान सारे पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें। श्राद्ध ही एक ऐसा माध्यम है जिससे पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है।२०१९ विजयदशमी, दसरा, दशहरा पूजा का दिन और समय :- dussehra puja vidhi
Pitru paksha meaning
pitru paksha shraddh vidhi |
पितृ पक्ष का अर्थ होता है अपने पितरों को श्राद्ध देना। पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध दिया जाता है जो कि अब इस दुनिया में नहीं है। इस श्राद्ध के माध्यम से हम अपने पितरों से सारी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं और अपने और अपने परिवार के जीवन को खुशहाली से भरने के लिए प्रार्थना भी करते हैं। जिनके भी घर में कोई अकाल मृत्यु हुई है, तो उनके लिए पितृपक्ष का श्राद्ध कराना बहुत लाभदायक होगा। इससे आपके पितृ को मुक्ति मिलेगी और उनका आशीर्वाद आप पर सदा बना रहेगा। उम्मीद है अब आपको पितृ पक्ष का अर्थ पता चल गया होगा और आपको इसे करने का क्या फायदा है और इसे क्यों करते हैं यह नीचे दिए जानकारी में आपको विशेष रुप से पता चल जाएगा।
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Pitra dosh puja at home
पितृपक्ष पूजा या पितृ दोष पूजा आप घर में भी कर सकते हैं। इस पूजा में आपको उचित काल और स्थान पर अपने पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों की मदद से पूजा करनी होती है। यह श्राद्ध पूजा आप घर में भी कर सकते हैं। अपने घर पर ही आप अपने पितरों के नाम पूजा करिए और श्राद्ध के रूप में पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाइए। पिंड रूप में दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है।
आपको अपनी पितृ पक्ष पूजा बहुत ध्यान पूर्वक से करना चाहिए हमेशा एक जानकार ब्राह्मण या पंडित को पूजा के समय अपने पास रखें। मान्यता यह है कि अगर किसी कारण पितृ नाराज हो जाए तो मनुष्य के जीवन में बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो सकती है जो कि बहुत ही बुरी बात हो सकती है। पितृ के नाराज होने से घर में अशांति, धन हानि और संतान पक्ष जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है उनको पितृपक्ष की पूजा अवश्य करना चाहिए अथवा अपने पितरों को श्राद्ध अवश्य देना चाहिए।
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How to do pitru paksha puja at home
पितृ पक्ष के श्राद्ध में तिल, चावल, जॉ आदिको बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है, पितृपक्ष का श्राद्ध केवल योग्य ब्राह्मणों के हाथों के द्वारा कराएं और श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्व होता है। हमेशा याद रखें कि पितृ पक्ष पूजा के श्राद्ध में पितरों को अर्पित किया जाने वाला भोज्य पदार्थ हमेशा पिंडी रूप में भेंट किया जाता है। पूजा होते ही मान्यता यह है कि श्राद्ध को ग्रहण करने के लिए पूजा करता के पितृ काव्य के रूप में श्राद्ध को ग्रहण करने के लिए घर आते हैं, इसलिए अगर आप पितृ पूजा घर में कर रहे हैं तो अपने छत पर श्राद्ध अवश्य लगाएं और कौवा के लिए श्राद्ध का प्रथम अंश जरूर रखें।
आपको किस तारीख में करना है श्राद्ध?
पितृपक्ष पूजा की विधि जानने से पहले आप यह जान ले कि आपको किस तारीख को श्राद्ध करना है। श्राद्ध करने का समय और तारीख बहुत ही ज्यादा मायने रखता है इसलिए इस पर विशेष रुप से ध्यान दें। श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धा पूर्वक याद किया जाना चाहिए। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाना चाहिए। पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है। जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो या किसी दुर्घटना के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी के दिन किया जाता है। और अगर आपको अपने पितरों की मरने की तिथि मालूम नहीं है तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन करना चाहिए, यह दिन श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र होता है और इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है।Pitru paksha puja vidhi
कैसे करें पितृ पक्ष पूजा विधि, आपको यहां पर पितृ पक्ष की पूजा विधि की पूरी जानकारी मिल जाएगी। वर्ष 2019 में पितृ पक्ष 24 सितंबर (सोमवार) से 08 अक्टूबर (सोमवार) तक होंगे। इसी दौरान आपको अपने पितरों का श्राद्ध करना है ताकि उनको मोक्ष की प्राप्ति हो और आपके लिए भी यह पूजा आपके पितरों के आशीर्वाद से लाभदायक हो। हिंदू वेदों के अनुसार पितरों को श्राद्ध देने की एक विधि होती है जिसको हर किसी को पालन करना चाहिए तभी उनकी पितृ पूजा सफल होगी। गरुड़ पुराण के अनुसार पिंडदान हमेशा एक सुयोग्य पंडित द्वारा ही कराना चाहिए और उचित मंत्रों और योग्य ब्राह्मण की देखरेख में ही करना चाहिए। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों और गरीब लोगों को दान जरूर देना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको पशु पक्षी दिख जाए तो उनको भोजन अवश्य कराएं। माना जाता है की इस दिन हमारे पितृ हमारे पास गाय, कुत्ते या कव्वे के रूप में श्राद्ध ग्रहण करने आते हैं। आप अपने पितरों की श्राद्ध मृत्यु तिथि पर ही करिए परंतु अगर आपको अपने पितृ की मृत्यु तिथि मालूम ना हो तो आप अश्विन अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध कर सकते हैं।crow in pitru paksha |
Pitru paksha puja vidhi at home
दुर्गा चंडी पाठ :- durga chandi path
Pitru paksha 2019 dates
तिथि दिन श्राद्ध तिथियाँ24 सितम्बर (सोमवार) पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितम्बर (मंगलवार) प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितम्बर (बुधवार) द्वितीया श्राद्ध
27 सितम्बर (बृहस्पतिवार) तृतीया श्राद्ध
28 सितम्बर (शुक्रवार) महा भरणी, चतुर्थी श्राद्ध
29 सितम्बर (शनिवार) पञ्चमी श्राद्ध
30 सितम्बर (रविवार) षष्ठी श्राद्ध
01 अक्टूबर (सोमवार) सप्तमी श्राद्ध
02 अक्टूबर (मंगलवार) अष्टमी श्राद्ध
03 अक्टूबर (बुधवार) नवमी श्राद्ध
04 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) दशमी श्राद्ध
05 अक्टूबर (शुक्रवार) एकादशी श्राद्ध
06 अक्टूबर (शनिवार) मघा श्राद्ध, द्वादशी श्राद्ध
07 अक्टूबर (रविवार) त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
08 अक्टूबर (सोमवार) अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध (सभी के लिए )
उम्मीद है आपको हिंदी में पितृपक्ष पूजा विधि पर आधारित है यह जानकारी अवश्य प्राप्त हुई होगी और आपको यह जानकारी अपने पितरों के श्राद्ध में मदद करेगी। धन्यवाद!
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